” दुर्जनोंका संहार करू
ना युही सहता रहूराह के पथ्थर वही
ना युही देखता रहूसब्र की सीमा वही
ना युही बैठा रहूअन्याय से लढता वही
ना कही छुपता रहूलांघकर सिमा को यू
दुर्जनोंका संहार करूचुप ना यु बैठा युही
अन्याय से लढता रहूदुर्जनोंका संहार करु
ना युही सहता रहू!!”
– योगेश खजानदार