“वो रास्ते छोड दिये, अपने जहा बदले हैं!! गैरो कि महफिल में, ना जाने क्यूँ बैठे हैं!! अब ना मंजिल की परवाह, ना किसका इंतजार है!! इस दिल को अब, गैरो से प्यार है!! वापस ना लौटेंगे कभी, वो हर पल साथ है!! अपने भी ना रोके, ये दर्द पास है!! फिर कैसी ये जिंदगी, जो रास्ते अनजान है!! मंजिल भी मिले कभी, वो बात बेकार है!! रास्तों से पुछ लेना, मेरा क्या हाल है!! हर आसुओं की वजह, अपनों की याद है!!” ✍️ योगेश
वो पल || WO PAL || HINDI POEMS ||
