“अकेला निकला हुं
में इस राह पर
मंजिल की मुझे
है तलाश!!हजारों झुट मिले
हसते ही गले लगे
राह भटकने से
करे प्रयास!!तुफान कुछ आयें
हौसलों से मिले
डरसे गये जब
दिखे विनाश!!सच कुछ ऐसे मिला
कांटो में है घिरा
लेकर चले साथ की
करे प्रकाश!!अकेले ही चला हु
राह से न भटका
मंजिल की मुझे अब
है तलाश !!”– योगेश खजानदार