
“कभी कभी तुम यूहीं
जिंदगी से बाते किया करो
क्या पता पुरानी यादों मै कहीं
अपनासा कोई मिल जाएकभी यूहीं बैठे बैठे
दिल की धुन सुना करो
क्या पता इस दिलमें कोई
धुंधलासा चेहरा दिख जाएयूहीं हो सके तो पढ़ना
रूठे हुए शक्स को
क्या पता कहीं अनजाने में
वोह रिश्ता ना टूट जाएकभी टूटकर यूहीं
किसिसे प्यार तुम किया करो
क्या पता इस दुनिया मै तुम्हे
वोह जन्नत यही मिल जाएकभी तुम यूहीं
अपने आप को ढूंढा करो
क्या पता अपने आप में कहीं
वोह तुम्हारा चेहरा दिख जाएकभी कभी तुम यूहीं
जिंदगी से बाते किया करो
क्या पता कब ये
तुमसे ही ना रूठ जाए।।”-योगेश खजानदार
बहुत अच्छी रचना
धन्यवाद अभयजी
बहुत सुन्दर
धन्यवाद
धन्यवाद
बहुत बहुत धन्यवाद ।।
Thanks 😊
just wow.
ek ek paragraph khubsurat hai….lajwaab lekhan….
कभी टूटकर यूहीं
किसिसे प्यार तुम किया करो
क्या पता इस दुनिया मै तुम्हे
वोह जन्नत यही मिल जाए
बहुत सुन्दर — कभी कभी जब आप हिंदी में शब्द माला पिरोते हैं 🙂 …….