
एक वो आसु हैं जो आज भी
पलकों से गुफ्तगू करते हैं
हर पल ठहरते है
और तेरी ही बातें करते हैंइंतजार जो तेरा होता
तो ये कुछ यादें दे जाते हैं
कभी तेरे दिदार को तरसते हैं
तो कभी रुठ कर चले जाते हैंगालों तक जब वोह आये
तुम्हारे ही होंठों को ढुंढते हैं
पुराने पन्नों में देखते हैं
खुदको भुल जाते हैंये आसु जो तुम्हारे इंतजार में
खुद को भुल जाते हैं
मेरा साथ छोडते हैं
और मिठ्ठी में मिल जाते हैं ..!!
-योगेश खजानदार

बहुत सुन्दरता से प्यार मे आंसू की भागेदारी बताई है
Thanks
Very nice.
Thanks 😊