एक वो आसु हैं जो आज भी पलकों से गुफ्तगू करते हैं!! हर पल ठहरते है और तेरी ही बातें करते हैं!! इंतजार जो तेरा होता तो ये कुछ यादें दे जाते हैं!! कभी तेरे दिदार को तरसते हैं!! तो कभी रुठ कर चले जाते हैं!! गालों तक जब वोह आये तुम्हारे ही होंठों को ढुंढते हैं!! पुराने पन्नों में देखते हैं!! खुदको भुल जाते हैं!! ये आसु जो तुम्हारे इंतजार में खुद को भुल जाते हैं!! मेरा साथ छोडते हैं!! और मिठ्ठी में मिल जाते हैं!! -योगेश खजानदार
एक आंसु || EK AASU || HINDI POEMS ||
